अमर झा का जन्म यूँ तो सहरसा जिला के बनगांव में हुआ था, परन्तु जन्म के कुछ दिनों बाद ही वो तत्कालीन भागलपुर जिले के (वर्तमान में बांका जिले के) अपने पैतृक गांव बछौर आ गये थे. उनकी प्रारंभिक शिक्षा दीक्षा झारखंड (संयुक्त बिहार) में हुई. एक शिक्षक परिवार में पैदा हुए अमर बचपन से ही पढाई लिखाई में काफी अव्वल विद्यार्थी थे और उन्हें हमेशा से ही कोई न कोई मेधावी छात्रवृति प्राप्त होती रही. अपनी इंजीनियरिंग की उच्च शिक्षा के लिए वह काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के (वर्तमान में) IITBHU चले गये थे.
अमर में छात्र जीवन से ही देश के प्रति इतना प्रेम था कि वो पहले सेना में ही अपना योगदान देना चाहते थे. उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग पढाई के साथ साथ National Cadet Corps (NCC) में C सर्टिफिकेट हासिल किया और अपनी इकाई के Cadet Under Officer भी बन गए. उन्हें विश्वविद्यालय में भारत के उप राष्ट्रपति श्री एम हिदायतुल्लाह को गॉर्ड ऑफ़ ऑनर देने का अवसर प्राप्त हुआ. वो देश सेवा के लिए भी उतने ही सक्रिय थे. काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में वो National Service Scheme (NSS) के सक्रिय सदस्य थे और कई मौकों पर गांव में जाकर कैंप कर समाज की सेवा करना उन्हें अच्छा लगता था.
मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बी टेक डिग्री प्राप्त करने के बाद अमर ने अपनी नौकरी टाटा स्टील में प्रारम्भ की और कुछ महीनों बाद ही ONGC के Bombay Offshore Project, मुंबई में काम करने लगे. ONGC में उनके कार्य को काफी सराहना मिली और उन्हें YOUNG EXECUTIVE OF THE YEAR 1994 के अवार्ड से सम्मानित किया गया.
अमर को पढ़ना लिखना इतना अच्छा लगता है कि उन्होंने अपने करियर के ऊंचाई पर रहते हुए भी XLRI जमशेदपुर से Executive MBA (PGCBM) की डिग्री भी हासिल की. इस से उनके काम काज की गुणवत्ता और उत्कृष्टता में और भी निखार आया.
अमर 1984 से 2016 तक देश विदेश में कई राष्ट्रीय एवं बहु राष्ट्रीय कंपनियों में तकनीकी और प्रबंधन के क्षेत्र में काम करते रहे, जिसमें Tata Steel. ONGC, RasGas, Niko Resources, Cairn India, Specialist Services इत्यादि प्रमुख रहे.
इस बीच काम के प्रति समर्पण और कठिन परिश्रम के कारण इनके तीन दशकों से अधिक सेवा और सम्मान के बीच चोली दामन का सम्बन्ध रहा. इस दौरान उन्होंने पंद्रह से अधिक देशों जैसे कि अमेरिका, इंग्लैंड, स्विट्ज़रलैंड, जर्मनी, फ्रांस, इटली, चीन, रूस, मलयेशिया, सिंगापुर, हांगकांग, ओमान, बहरीन, क़तर, यूऐई में कई शीर्ष पदों पर काम किया और दूसरे देशों के कार्मिकों के बीच भी अपने देश का परचम लहराया. कई विदेश के कार्मिकों ने भी उनके नेतृत्व में अच्छा काम किया और उनके मित्र बनकर रहे.
2010 में उनके महाप्रबंधक के कार्यकाल में Cairn India एवं ONGC संयुक्त उपक्रम को 670 किलोमीटर लम्बी विश्व की सबसे लम्बी उष्मित पाइपलाइन के उद्घाटन पर लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स World Record 2011 से सम्मानित किया गया.
2016 में अमर अंतिम रूप से विदेश की सेवा से मुक्त होकर देश लौट आये और अपने देश की ही सेवा में, विशेषकर युवाओं के बीच काम करने का संकल्प लिया. झारखण्ड कौशल विकास मिशन के मुख्य कार्यकारी पदाधिकारी के रूप में इनके कार्य ने इनके जीवन की दिशा ही बदल दी. शिक्षा, कौशल विकास एवं युवाओं के रोजगार के क्षेत्र में इनके कामों को समस्त देश में बहुत सराहना मिली. अमर झा के नेतृत्व में झारखण्ड राज्य के युवाओं को एक दिन में पच्चीस हज़ार से अधिक रोजगार के अवसर प्रदान करने की उपलब्धि के कारण लिम्का बुक ऑफ़ रिकार्ड्स के अवार्ड से सम्मानित किया गया. उनके कार्यकाल में झारखण्ड के लाखों युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किये गये.
अमर 2017 से 2019 के बीच कौशल विकास एवं रोजगार के क्षेत्र में अपने कार्यों को अपने जीवन का सबसे सार्थक और स्वर्णिम काल मानते हैं. तत्पश्चात युवाओं के कौशल विकास और रोजगार के क्षेत्र के साथ साथ अमर झा कई सामाजिक क्षेत्रों में लगातार लगे हुए हैं और समाज तथा देश को अपनी सेवा दे रहे हैं.
अमर झा अभी रेड क्रॉस सोसाइटी के आजीवन सदस्य है. उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान रक्त दान के कई कैंप का आयोजन किया एवं स्वयं भी कई बार रक्त दान किया. प्राकृतिक आपदा बाढ़, भूकंप, Covid या अन्य कई अवसरों पर वो अपने टीम के साथ समाज की मदद के लिए सड़क पर उतर जाते हैं.
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