अमृतसर का स्वर्ण मंदिर, जो लाखों श्रद्धालुओं की पवित्र आस्था का केंद्र है और अमृतसर का हृदय कहे जाने वाला या स्वर्ण मंदिर दुनिया भर के श्रद्धालुओं के लिए भक्ति का एक अनोखा दृश्य प्रस्तुत करता है। यह मंदिर वास्तव में बेहद अनूठा और रोचक इतिहास का संरक्षणकर्ता रहा है। हाल ही में अपनी अमृतसर-पंजाब की यात्रा के दौरान गुरुग्राम भाजपा बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के जिला संयोजक श्री अमर झा ने स्वर्ण मंदिर (श्री हरमंदिर साहब) में गुरुदर्शन कर प्रसाद ग्रहण किया।
गौरतलब है कि स्वर्ण मंदिर लगभग 500 किलो स्वर्ण से सजा एक अनूठा मंदिर है, जो देश-विदेश में सिक्ख धर्म के अनुयायियों की श्रद्धा का केंद्र है। पंजाब के अमृद्ध इतिहास में अभिन्न भूमिका निभाने वाले इस मंदिर में रोजाना सबसे बड़ा लंगर किया जाता है, जहां लाखों लोग प्रसाद ग्रहण कर अपने जीवन को धन्य बनाते हैं। इस पवित्र स्थान की नींव 1577 में श्री गुरु रामदास जी के द्वारा रखी गई थी और 1588 में सिक्खों के पांचवें गुरु श्री गुरु अर्जुन देव जी ने इसका निर्माण कार्य शुरू करा दिया था। यहां स्थित अमृत सरोवर अध्यात्म के मार्ग पर चल रहे श्रद्धालुओं के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।